बॉलीवुड स्टार अक्षय कुमार, पहली बार धनबाद आईआईटीआईएसएम के छात्रों से हुए रूबरू।

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धनबाद। बॉलीवुड सुपरस्टार अक्षय कुमार पहली बार धनबाद आईआईटी आईएसएम के छात्रों, अधिकारियों और कर्मचारियों से रूबरू हुए।अक्षय कुमार लंदन से आईएसएम के छात्रों के साथ ऑनलाइन जुड़े। आईएसएम में छात्रों द्वारा किए गए सवालों का उन्होंने बखूबी जवाब भी दिया।इस दौरान अक्षय कुमार ने आईआईटी आईएसएम आने की उन्होंने अपनी दिली इच्छा भी व्यक्त की। आईआईटी आईएसएम पहुंचकर वह बहुत कुछ संस्थान के संबध में जानने चाहते हैं।

दरअसल, आईआईटी आईएसएम के छात्र रहे जसवंत सिंह गिल की वीरतापूर्ण कार्य पर आधारित आगामी फिल्म, मिशन रानीगंज में मुख्य भूमिका निभाई है। फिल्म मिशन रानीगंज 6 अक्तूबर को रिलीज हो रही है। आईआईटी आईएसएम के माइनिंग इंजीनियरिंग 1965 बैच के छात्र जसवंत सिंह गिल, जिन्होंने 1989 में पश्चिम बंगाल के रानीगंज में कोयला खदान हादसे के दौरान अकेले ही 64 खनिकों की जान बचाई थी।

आईआईटी आईएसमाइट्स के साथ मनोरंजक इंटरैक्टिव सत्र के दौरान, लंदन से लाइव जुड़े अक्षय कुमार ने छात्रों से सवाल पूछे और उनके सवालों के जवाब दिए और आईआईटी (आईएसएम) जाने की इच्छा व्यक्त की। आईआईटी आईएसएम के पेनमैन ऑडिटोरियम में में बॉलीवुड स्टार अक्षय कुमार ऑनलाईन लंदन से बातचीत कर रहे थे। आईआईटी आईएसएम के निदेशक प्रोफेसर जे के पटनायक, उप निदेशक प्रोफेसर धीरज कुमार और प्रोफेसर रजनी सिंह डीन (मीडिया और ब्रांडिंग) के अलावा अन्य संकाय सदस्यों के साथ पस्थित थे। आईआईटी आईएसएम के निदेशक, उपनिदेशक, कर्मचारी और छात्रों ने अक्षय कुमार को फिल्म के लिए बधाई दी।

घटना के दो साल बाद 1991 में तत्कालीन राष्ट्रपति रामास्वामी वेंकटरमन द्वारा जसवंत सिंह गिल को सर्वोत्तम जीवन रक्षापदक से सम्मानित किया गया था और कोल इंडिया ने भी उन्हें लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार से सम्मानित किया था।

हादसे के दौरान जसवंत सिंह गिल रानीगंज में ईस्टर्न कोलफील्ड लिमिटेड के महाबीर कोलियरी में पदस्थापित थे। कोयला उत्खनन के दौरान कोलियरी की माइंस की एक दीवार के ध्वस्त होने के कारण पानी खदान में घुस गया था। उस समय तैनात जसवन्त सिंह गिल ने एक कार्य योजना के तहत रेस्क्यू की तैयारी की थी। 2.5 मीटर की एक स्टील कैप्सूल तैयार की थी। कैप्सूल को खदान के अंदर विशेष स्थान पर ड्रिल किया गया । जहां 64 खनिक फंसे हुए थे। कैप्सूल अंदर समाहित होकर वह खदान के नीचे गए।एक एक कर कैप्सूल के जरिए खदान के अंदर फंसे खनिकों को गिल सभी 64 खनिकों को सुरक्षित खदान से बाहर ले आए थे।इस घटना के बाद से ही उन्हे लोग कैप्सूल गिल के नाम से जानने लगे थे। आईआईटी आईएसएम की तरफ से रिलीज और फोटो मीडिया को जारी की गई है।

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