डीसी के निरीक्षण के चार दिनों बाद पहुंची एडीएम हेमा प्रसाद, पहले की तरह दिखी कुव्यवस्था, इक्के-दुक्के नजर आए सीनियर डॉक्टर, मेडिकल कॉलेज के स्टूडेंट्स और प्रशिक्षु नर्स के भरोसे चल रहा था 650 मरीजों का इलाज

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ओपीडी में भी सीनियर के बदले मेडिकल कॉलेज के स्टूडेंट्स ही नजर आए, महिला वार्ड में काफी संख्या में पुरुषों और अस्पताल में गंदगी देख भड़की एडीएम, मैन पावर की कमी बताकर पल्ला झाड़ते नजर आए अधीक्षक

मरीजों को दवा नहीं मिलने और जांच बाहर से होने पर गुस्से में थी एडीएम

धनबाद। डीसी माधवी मिश्रा के निरीक्षण के चार दिनों बाद शनिवार को एडीएम विधि व्यवस्था हेमा प्रसाद पदाधिकारियों के साथ शनिवार को एसएनएमएमसीएच पहुंची। पहले की तरह ही अस्पताल में कुव्यवस्था नजर आई। इक्के-दुक्के ही सीनियर डॉक्टर थे। मेडिकल कॉलेज के स्टूडेंट्स और प्रशिक्षु नर्स के भरोसे 650 मरीजों का इलाज चल रहा था।
ओपीडी में भी सीनियर के बदले मेडिकल कॉलेज के स्टूडेंट्स ही नजर आए। पुरुष वार्ड में महिलाओं और महिला वार्ड में काफी संख्या में पुरुषों को देख एडीएम भड़क गई। अस्पताल परिसर में चारों गंदगी देख अधीक्षक सह मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य ज्योति रंजन को फटकार लगाई। अस्पताल की कुव्यवस्था के लिए अधीक्षक को जिम्मेदार ठहराया। हालांकि अधीक्षक मैन पावर की कमी बताकर पल्ला झाड़ते नजर आए। इतना ही नहीं
मरीजों को दवा नहीं मिलने और जांच बाहर से होने पर एडीएम गुस्से में थी। हमेशा की तरह शनिवार को भी अधिकतर डाॅक्टर गायब थे। लोगों का कहना था कि लगभग सभी डॉक्टर प्राइवेट प्रैक्टिस और नर्सिंग होम चलाने में व्यस्त रहते हैं और वेतन सरकार से लेते हैं। सभी सीनियर डाॅक्टरों का वेतन दो से तीन लाख रुपए है। एडीएम ने ओपीडी से लेकर इनडोर के सभी वार्डों और इमरजेंसी का निरीक्षण किया, लेकिन कहीं व्यवस्था दुरूस्त नहीं था। लोग कहते नजर आए कि सरकार अस्पताल पर करोड़ों रुपए खर्च करती है, लेकिन अस्पताल अधीक्षक ने इसे नर्क बना दिया है।


2 जुलाई को धनबाद की डीसी माधवी मिश्रा ने निरीक्षण कर 24 घंटे में व्यवस्था सुधारने का दिया था निर्देश

2 जुलाई को धनबाद की डीसी माधवी मिश्रा ने अस्पताल का निरीक्षण कर 24 घंटे में अधीक्षक को व्यवस्था सुधारने का निर्देश दिया था, लेकिन ज्योति रंजन पर कोई असर नहीं पड़ा। बता दें कि मंगलवार को धनबाद जिला के सबसे बड़े अस्पताल एसएनएमएमसीएच का डीसी ने दोपहर में औचक निरीक्षण किया था। निरीक्षण के दौरान डीसी ने देखा कि अधिकतर सीनियर डॉक्टर ड्यूटी से नदारद थे। पूरे अस्पताल में दो-तीन सीनियर डॉक्टर और जूनियर डॉक्टरों के भरोसे पूरा अस्पताल चल रहा था। ओपीडी के मरीजों को भी पर्ची के हिसाब से एक दो दवाएं ही मिल रही थी। डीसी ने ओपीडी से लेकर अस्पताल के इनडोर में सर्जिकल, मेडिसिन, शिशु रोग, स्त्री-प्रसूति समेत कई विभागों और इमरजेंसी का बारीकी से निरीक्षण किया। डीसी ने देखा कि वार्डों में भर्ती मरीजों के बेड पर न तो चादर थे और ना ही तकिया। वार्डों में अधिकतर पंखे और इमरजेंसी, बर्निंग व आईसीयू में सभी एसी खराब थे। अस्पताल में चारों ओर गंदगी फैली हुई थी। कई जगहों पर डीसी को भी नाक पर रूमाल रखना पड़ा था। डीसी ने निरीक्षण के दौरान सभी डॉक्टरों और कर्मचारियों का अटेंडेंस भी चेक किया था। जिसमें कई अनुपस्थित और कई लोग हाजिरी बनाकर गायब थे। अस्पताल की इस कुव्यवस्था के लिए डीसी ने मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य सह अधीक्षक ज्योति रंजन प्रसाद को फटकार लगाई और स्वास्थ्य मंत्री को रिपोर्ट भेजने की बात कही थी। इसी बीच कई डाॅक्टर खबर पाकर पहुंचे, जो प्राइवेट प्रैक्टिस में थे। डीसी ने प्रबंधन को अस्पताल की जल्द से जल्द व्यवस्था सुधारने का निर्देश दिया था।

रिपोर्ट – राजा गुप्ता

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