धनबाद में कैलाश खेर ने गीतों से बांधा समां, लोगों को समझाया विदेशों में इस्तेमाल की जाने वाली भारत की धार्मिक शब्द का मतलब

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धनबाद।हिंदी साहित्य विकास परिषद के 44 वे स्थापना दिवस सह हिंदी दिवस पर गोल्फ ग्राउंड में रंग बिरंगी चकाचौंध म्यूजिकल रौशनी के बीच सूफी पार्श्व गायक कैलाश खेर ने अपनी गीतों के साथ ना सिर्फ लोगों को झूमने पर मजबूर कर दिया, बल्कि भारत की धार्मिक शब्दों का इस्तेमाल कर विदेश के लोग भी अपनी खूब बहबाही कर रहे है। लोगों को शब्दों के अर्थ समझाकर उनकी धार्मिक आस्था को और भी प्रगाढ़ करने काम कैलाश खेर ने मंच के माध्यम से किया है।

धर्म के प्रति उनके द्वारा बोले और समझाए गए शब्दों और वाक्यों की चर्चा आगे भी करेंगे। लेकिन इसे पहले कैलाश खेर के द्वारे गए गीतों पर बात कर लेते हैं। कैलाशा बैंड के साथ कैलाश खेर ने अपनी गीतों से लोगों का दिल जीत लिया। गीतों के साथ नृत्य लोगों को झूमने पर मजबूर कर डाला।उनके मंच पर आते ही चारों ओर तालियों की गड़गड़ाहट गूंज उठी।उन्होंने मंच से सबसे पहले ,हीरे मोती मैं ना चाहूं मैं चाहूं संगम तेरा,नी मैं जीना…, मैं तो तेरे प्यार में दीवाना हो गया… गीत के साथ शुरुआत की। लोगों के बीच उन्होंने अपनी पहली गीत पर ही समा बांध दिया।इसके बाद एक से बढ़कर एक गीतों की प्रसूति मंच से दी।कौन है वो कौन है वो कहां से वो आया…, जय जयकार जय जयकारा…स्वामी देना साथ हमारा…इस गाने के साथ ही लोगों को भी उन्होंने अपने साथ गाने पर मजबूर कर दिया।सइयां…., राह बुहारूं, पग पखारूं…., तौबा तौबा वे तेरी सूरत…, पिया के रंग रंग दीनी ओढनी…, तेरे बिन नहीं लगता दिल मेरा… तेरी दीवानी…, कागा सब तन खाइयो,जैसे गानों पर लोगों ने जमकर लुत्फ उठाया।

अपने गानों के बीच में मंच से वह धार्मिक बातें भी करते रहे। विश्व में भारत के धार्मिक शब्दों के इस्तेमाल को लेकर उन्होंने उनके अर्थ भी लोगों समझाने की कोशिश की।उन्होंने कहा कि कहा कि दुनिया आजकल गुगल से चल रही। हर कोई अपनी दिनचर्या में गुगल का इस्तेमाल कर रहा है।भले ही इसका आविष्कार विदेश के लोगों ने किया है। वह गुगल जिस पर दुनिया भर की चीजें सर्च करते हैं। गुगल का उपयोग तो भारतवासी वर्षो से करते आ रहे हैं। भारत में गुगल का इस्तेमाल बहुत पहले से धार्मिक अनुष्ठान के दौरान हवन या अन्य विधि से किया जाता आ रहा है। वहींं उन्होंने कहा कि कंप्यूटर,जिसे विदेश को लोगों ने बनाया, लेकिन चलता रेम से हैं।किसी भी विदेशी से राम बोलने के लिए कहेंगे तो उनका उच्चारण रेम ही होता है। मतलब साफ है हमारे धार्मिक शब्दों का इस्तेमाल विदेश में भी बखूबी हो रहा है।

झारखंड को लेकर उन्होंने कहा कि यह धनी राज्य है। यहाँ अकूत खनिज संपदा भरी हुई है। क्योंकि झारखंड में भगवान भोलेनाथ विराजमान हैं। भगवान भोले यहां विराजमान है।इसलिए यहां के लोग भी बड़े भोले भाले हैं।

पश्चिम बंगाल की ए टू जेड बाय शिव डांस ग्रुप ने भी मंच से नृत्य की प्रस्तुति दी। यह ग्रुप सिर्फ कैलाश खेर के गीतों पर ही डांस करती हैं।वॉइस ऑफ इंडिया फेम और कोयलांचल के लाल रचित अग्रवाल ने भी अपने बैंड के साथ प्रस्तुति देकर लोगों का मन मोह लिया

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