मगध में पहली बार इलिजारोव तकनीक से किया गया सर्जरी

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गया। जिले के कटारी हिल रोड स्थित नरोमा अस्पताल में इलिजारोव तकनीक उपयोग के माध्यम से किया गया सर्जरी। 22 वर्षीय संजीत कुमार गोविंदपुर, डेल्हा के निवासी हैं जो बचपन में चोट लगने की वजह से पैर टेढ़ा हो गया था। कई जगह इलाज के बावजूद भी सुधार की जगह और पैर मुड़ गया था। करीब 15 वर्षों से पैर टेढ़ा होने के कारण सिर्फ एड़ी के सहारे चलने पर मजबूर थे। जब नरोमा अस्पताल में इलाज के लिए आए तो उनकी परेशानियों को सुना गया। जिसके बाद 4 डॉक्टरों की टीम गठित की गई जिसमें नरोमा के संस्थापक एवं हड्डी विशेषज्ञ डॉ. संजय कुमार, जोधपुर से ऑर्थो डॉ. हितेश सिंघल, पटना से डॉ. संजय प्लास्टिक सर्जन और गया के डॉक्टर प्रशांत कुमार शामिल थे। यह ऑपरेशन रात 10:00 बजे से  4:00 बजे तक सर्जरी चला, जो 6 घंटे का सर्जरी के बाद सफलता मिली।डॉ संजय कुमार ने कहां की अगर कोई व्यक्ति हड्डी में संक्रमण की वजह से चलने-फिरने में लाचार हो चुका है तो उस परिस्थिति में इलिजारोव तकनीक उपयोगी है। इस तकनीक से पीड़ित व्यक्ति चलने लायक बनाया जा सकता है। टूटी हुई हड्डियों को किसी अन्य तकनीक से नहीं जोड़ा जा सका है तो उस स्थिति में भी इलिजारोव विधि कारगर साबित होती है।

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